Jogi by Khushi Muhammad Nazir (Hindi)

हहस्सा-ए-अव्वर: नगभा-ए-हक़ीकत
कर सुफह के भत्र'अ-ए-ताफाॉ से जफ 'आरभ फुक'अ-ए-नूय हुआ
सफ चाॉद ससताये भाॉद हुए खुयशीद का नूय जुहूय हुआ
भस्ताना हवा-ए-गुरशन थी जानाना अदा-ए-गुरफन थी
हय वादी वादी-ए-ऐभन थी हय कोह ऩे जरवा-ए-तूय हुआ
जफ फाद-ए-सफा सभजयाफ फनी हय शाख-ए-ननहार रुफाफ फनी
शभशाद-ओ-चचनाय ससताय हुए हय सव-वओ-सभन तॊफूय हुआ
सफ ताइय सभरकय गाने रगे भस्ताना वो तानें उड़ाने रगे
अशजाय बी वज्द भें आने रगे गुरजाय बी फज़्भ-ए-सुरूय हुआ
सब्जे ने बफसात बफछाई थी औय फज़्भ-ए-ननशात सजाई थी
फन भें गुरशन भें आॉगन भें फ़शव-ए-सस ॊजाफ-ओ-सभूय हुआ
था हदरकश भॊजय-ए-फाग-ए-जहाॉ औय चार सफा क़ी भस्ताना
इस हार भें एक ऩहाड़ी ऩय जा ननकरा 'नाज़जय'-ए-दीवाना
चेरों ने झॊडे गाड़े थे ऩयफत ऩय छावनी छाई थी
थे खेभे डेये फादर के कोहये ने कनात रगाई थी
माॉफफ़व के तोदे गरते थे चाॉदी के फ़ुवाये चरते थे
चश्भे सीभाफ उगरते थे, नारों ने धूभ भचाई थी
इक भस्त करॊदय जोगी ने ऩयफत ऩय डेया डारा था
थी याख जटा भें जोगी क़ी औय अॊग बफूत यभाई थी
था याख का जोगी का बफस्तय औय याख का ऩैयाहन तन ऩय
थी एक रॉगोटी जेफ-ए-कभय जो घुटनों तक रटकाई थी
सफ खल्कक-ए-खुदा से फेगाना वोह भस्त करॊदय दीवाना
फैठा था जोगी भस्ताना आॉखों भें भस्ती छाई थी
जोगी से आॉखें चाय हुईं औय झुककय हभने सराभ ककमा
तीखे चचतवन से जोगी ने तफ 'नाज़जय' से मे कराभ ककमा

कमूॉफाफा नाहक जोगी को तुभ ककससरए आके सताते हो?
हैं ऩॊख-ऩखेरू फनफासी तुभ जार भें इनको पॉसाते हो
कोई झगड़ा दार चऩाती का कोई दावा घोड़े हाथी का
कोई सशकवा सॊगी साथी का तुभ हभको सुनाने आते हो
हभ हहसव-ओ-हवा को छोड़ चुके इस नगयी से भॉुह भोड़ चुके
हभ जो जॊजीयें तोड़ चुके तुभ राके वही ऩहनाते हो
तुभ ऩूजा कयते हो धन क़ी हभ सेवा कयते हैंसाजन क़ी
हभ जोत रगाते हैंभन क़ी तुभ उसको आके फुझाते हो
सॊसाय से माॉभुख पेया हैभन भें साजन का डयेा है
माॉआॉख रड़ी हैऩीतभ से तुभ ककससे आॉख सभराते हो?
मूॉडाॉट डऩट कय जोगी ने जफ हभ से मे इयशाद ककमा
सय उसके झुकाकय चयणों ऩय जोगी को हभने जवाफ हदमा
हैंहभ ऩयदेसी सैरानी मूॉआॉख न हभसे चुया जोगी
हभ आए हैं तेये दशवन को चचतवन ऩय भैर न रा जोगी
आफादी से भॉुह पेया कमूॉ जॊगर भें ककमा हैडयेा कमू?ॉ
हय भहकफ़र भें हय भॊज़जर भें हय हदर भें हैनूय-ए-खुदा जोगी
कमा भज़स्जद भें कमा भॊहदय भें सफ जरवा हैवज्हुल्कराह* का
ऩयफत भें नगय भें सागय भें हय* उतया है हय जा जोगी (हय/हरय)
जी शहय भें खूफ फहरता हैवाॉहुस्न ऩे 'इश्क भचरता है
वाॉप्रेभ का सागय चरता हैचर हदर क़ी प्माय फुझा जोगी
वाॉ हदर का गॊचु ा खखरता हैकसरमों भें भोहन सभरता है
चर शहय भें सॊख फजा जोगी फाजाय भें धूनी यभा जोगी
कपय जोगी जी फेदाय हुए इस छेड़ ने इतना काभ ककमा
कपय 'इश्क के उस भतवारे ने मे वहदत का इक जाभ हदमा
इन चचकनी चुऩड़ी फातों से भत जोगी को पुसरा फाफा!
जो आग फुझाई जतनों से कपय उसऩे न तरे चगया फाफा!
हैशहयों भें गरु शोय फहुत औय काभ-कयोध का जोय फहुत
फसते हैं नगय भें चोय फहुत साधों क़ी हैफन भें जा फाफा!

है शहय भें शोरयश-ए-नफ़्सानी, जॊगर भें है जरवा-ए-रूहानी
है नगयी डगयी कसयत क़ी फन वहदत का दरयमा फाफा!
हभ जॊगर के पर खाते हैंचश्भों से प्मास फुझाते हैं
याजा के न द्वाये जाते हैं ऩयजा क़ी नहीॊ ऩयवा फाफा!
सय ऩय आकाश का भॊडर है डयती ऩे सुहानी भखभर है
हदन को सूयज क़ी भहकफ़र हैशफ को तायों क़ी सबा फाफा!
जफ झूभ के माॉघन आते हैंभस्ती का यॊग जभाते हैं
चश्भे तॊफूय फजाते हैंगाती हैभराय* हवा फाफा! (भल्कहाय: एक याग)
जफ ऩॊछी सभरकय गाते हैंऩीतभ के सॉदेस सुनाते हैं
सफ फन के बफरयछ झुक जाते हैंथभ जाते हैंदरयमा फाफा!
है हहसव-ओ-हवा का ध्मान तुम्हें औय माद नहीॊ बगवान्तुम्हें
ससर ऩत्थय ईंट भकान तुम्हें देते हैंमे याह बुरा फाफा!
ऩयभात्भा क़ी वो चाह नहीॊ औय रूह को हदर भें याह नहीॊ
हय फात भें अऩने भतरफ के तुभ घड़ रेते हो खुदा फाफा!
तन भन को धन भें रगाते हो हय* नाभ को हदर से बुराते हो (हय नाभ = हरय का नाभ)
भाटी भें रा'र गॉवाते हो तुभ फॊदा-ए-हहसव-ओ-हवा फाफा!
धन दौरत आनी जानी हैमे दनुनमा याभ कहानी है
मे 'आरभ 'आरभ-ए-फ़ानी है, फाक़ी है जात-ए-खुदा फाफा
हहस्सा-ए-दोमभ: तयाना-ए-वहदत

जफ से भतवारे जोगी का भशहूय-ए-जहाॉअफ़्साना हुआ
उस योज से फॊदा-ए-'नाज़जय' बी कपय फज़्भ भें नग़्भासाया न हुआ
कबी भन्सफ-ओ-जाह क़ी चाट यही कबी ऩेट क़ी ऩूजा ऩाट यही
रेककन मे हदर का कॉवर न खखरा औय गॊचु ा-ए-खानतय वा न हुआ
कहीॊ राग यही कहीॊ ऩीत यही कबी हाय यही कबी जीत यही
इस करजुग क़ी मही यीत यही कोई फॊद से गभ क़ी रयहा न हुआ

मूॉतीन फयस जफ तये हुए हभ काय-ए-जहाॉसे सेय हुए
था 'अहद-ए-शफाफ सयाफ-ए-नजय वो चश्भा-ए-आफ-ए-फका न हुआ
कपय शहय से जी उकताने रगा कपय शौक भुहाय उठाने रगा
कपय जोगी जी के दशवन को 'नाज़जय' इक योज यवाना हुआ
कुछ योज भें 'नाज़जय' जा ऩहुॉचा कपय होशरुफा नज़्जायों भें
ऩॊजाफ के गदव गफुायों से कश्भीय के फाग फहायों भें
कपय फनफासी फैयागी का हय सम्त सुयाग रगाने रगा
फननहार के बमानक गायों भें ऩॊजार क़ी कारी धायों भें (?)
अऩना तो जभाना फीत गमा सयकायों भें दयफायों भें
ऩय जोगी भेया शेय यहा ऩयफत क़ी सूनी गायों भें
वो हदन को टहरता कपयता था उन कुदयत के गुल्कनायों भें
औय यात को भह्व-ए-तभाशा था अॊफय के चभकते तायों भें
फफ़ावफ का था इक तार महाॉ मा चाॉदी का था थार महाॉ
अल्कभास जड़ा था जभरुव द भें मे तार न था कोहसायों भें
ताराफ के एक ककनाये ऩय मे फन का याजा फैठा था
थी फ़ौज कड़ी दीवायों क़ी हय सम्त फरॊद हहसायों भें
माॉ सब्जा-ओ-गुर का नजाया था औय भन्जय प्माया प्माया था
पूरों का तख़्त उताया था ऩरयमों ने इन कोहसायों भें
माॉ फाद-ए-सहय जफ आती थी बैयों का ठाठ जभाती थी
ताराफ रुफाफ फजाता था रहयों के तड़ऩते तायों भें
कमा भस्त अरस्त नवाएॉथीॊ उन कुदयत के ननभावणों भें
भल्कहाय का रूऩ था चश्भों भें सायॊग का यॊग फ़ुवायों भें
जफ जोगी जोश-ए-वहदत भें हय नाभ क़ी जफ़व रगाता था
इक गॉूज सी चककय खाती थी कोहसायों क़ी दीवायों भें
इस 'इश्क-ओ-हवा क़ी भस्ती से जोगी जफ कुछ हुश्माय हुआ
इस खाकनशीॊ क़ी खखदभत भें मूॉ'नाज़जय' 'अजगव ुजाय हुआ
कर यश्क-ए-चभन थी खाक-ए-वतन है आज वोह दश्त-ए-फरा जोगी!
वो रयश्ता-ए-उल्कफ़त टूट गमा कोई तस्भा रगा न यहा जोगी!

फयफाद फहुत से घयाने हुए आफाद हैंफॊदीखाने हुए
शहयों भें है शोय फऩा जोगी गाॉवों भें है आह-ओ-फुका जोगी!
वो जोश-ए-जुनॉूके जोय हुए डगॊ य ढोय हुए
फच्चों का हैकत्र यवा जोगी! फूढों का हैखून फहा जोगी!
मे भज़स्जद भें औय भॊहदय भें हय योज तनाजो' कै सा है!
ऩयभेशय हैजो हहन्दूका भुज़स्रभ का वही हैखुदा जोगी!
काशी का वो चाहने वारा है मे भकके का भतवारा है
छाती से तो बायतभाता क़ी दोनों ने हैदधू पऩमा जोगी!
हैदेस भें ऐसी पूट ऩड़ी इक कहय क़ी बफजरी टूट ऩड़ी
रूठे सभत्रों को भना जोगी! बफछड़े फीयों को सभरा जोगी!
कोई चगयता हैकोई चरता है चगयतों को कोई कुचरता है
सफ को इक चार चरा जोगी! औय एक डगय ऩय रा जोगी!
वो भैकदा ही फाक़ी न यहा वो खुभ न यहा साक़ी न यहा
कपय 'इश्क का जाभ पऩरा जोगी! मे राग क़ी आग फुझा जोगी!
ऩयफत के न सूखे रुखों को मे प्रेभ के गीत सुना जोगी!
मे भस्त तयाना वहदत का चर देस क़ी धुन भें गा जोगी!
बगतों के कदभ जफ आते हैंकरजुग के करेश सभटाते हैं
थभ जाता है सैर-ए-फरा जोगी! रुक जाता है तीय-ए-कजा जोगी!
'नाज़जय' ने जो मे अफ़्साना-ए-गभ रूदाद-ए-वतन का माद ककमा
जोगी ने ठॊडी साॉस बयी औय 'नाज़जय' से इयशाद ककमा
फाफा! हभ जोगी फनफासी जॊगर के यहनेवारे हैं
इस फन भें डेये डारे हैं जफ तक मे फन हरयमारे हैं
इस काभ कयोध के धाये से हभ नाव फचाकय चरते हैं
जाते माॉभॉुह भें भगयभछ के दरयमा के नहानेवारे हैं
हैदेस भें शोय ऩुकाय फहुत औय झूट का हैऩयचाय फहुत
वाॉ याह हदखानेवारे बी फेयाह चराने वारे हैं
कुछ रारच रोब के फन्दे हैंकुछ भकय-ओ-पयेफ के पॊ दे हैं
भूयख को पॉसानेवारे हैंमे सफ भकड़ी के जारे हैं

जो देस भें आग रगाते हैं कपय उस ऩय तेर चगयाते हैं
मे सफ दोजख का इॊधन हैं औय नयक के सफ मे ननवारे हैं
बायत के प्माये ऩूतों का जो खन फहानेवारे हैं ू
कर छाॉव भें ज़जसक़ी फैठेंगे वही ऩेड़ चगयाने वारे हैं
जो खून खयाफा कयते हैंआऩस भें कट-कट भयते हैं
मे फीय-फहादयु बायत को गैयों से छुड़ाने वारे हैं?
जो धभव क़ी जड़ को खोदेंगे बायत क़ी नाव डुफो देंगे
मे देस को डसनेवारे हैं जो साॉऩ फगर भें ऩारे हैं
जो जीव क़ी यऺा कयते हैं औय खौफ़-ए-खुदा से डयते हैं
बगवान्को बाने वारे हैंईश्वय को रयझाने वारे हैं
दनुनमा का हैसुयजनहाय वही भा'फूद वही भुख़्ताय वही
मे का'फा, करीसा, फुतखाना सफ डोर उसी ने डारे हैं
वो सफका ऩारनहाया हैमे कुनफा उसी का साया है
मे ऩीरे हैं मा कारे हैं सफ प्माय से उसने ऩारे हैं
कोई हहदॊ ी हो कक हहजाजी हो कोई तुकी हो मा ताजी हो
जफ नीय पऩमा इक भाता का सफ एक घयानेवारे हैं
सफ एक ही गत ऩय नाचेंगे सफ एक ही याग अराऩेंगे
कर श्माभ-कन्हैमा कपय फन भें भुयरी को फजानेवारे हैं
आकाश के नीरे गुॊफद से मे गॉजू सुनाई देती है
अऩनों के सभटानेवारों को कर गैय सभटाने वारे हैं
मे प्रेभ सॉदेसा जोगी का ऩहुॉचा दो उन भहाऩुरुषों तक
सौदे भें जो बायतभाता के तन भन के रगानेवारे हैं
ऩयभात्भा के वो प्माये हैं औय देस के चाॉद ससताये हैं
अॊधेय नगय भें वहदत क़ी जो जोत जगाने वारे हैं
'नाज़जय'! महीॊ तुभ बी आ फैठो औय फन भें धूनी यभा फैठो
शहयों भें गुरू कपय चरे ों को कोई नाच नचाने वारे हैं